
श्री किशोरी

श्री किशोरी जी का जन्म एक ऐसे परिवार में हुआ जहाँ आध्यात्मिकता, सेवा और संस्कार जीवन का आधार थे। छोटी उम्र से ही उन्होंने भगवान श्रीकृष्ण, भगवद गीता और सनातन संस्कृति के प्रति विशेष अनुराग दिखाया। वे न केवल एक होनहार छात्रा हैं, बल्कि एक संवेदनशील और विचारशील बालिका भी हैं, जो समाज की पीड़ा को गहराई से समझती हैं।
शांत स्वभाव, जिज्ञासु मन और सेवा के प्रति अपार समर्पण — यही उनके व्यक्तित्व की पहचान है। पढ़ाई के साथ-साथ वे योग, ध्यान और ध्यानशील चिंतन को भी अपने जीवन का अभिन्न हिस्सा मानती हैं। उनके पिता के मार्गदर्शन में उन्होंने बाल्यकाल में ही गीता का अध्ययन शुरू किया और आज वे इसके ज्ञान को जन-जन तक पहुँचाने का संकल्प ले चुकी हैं।