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श्री किशोरी

श्री किशोरी जी का जन्म एक ऐसे परिवार में हुआ जहाँ आध्यात्मिकता, सेवा और संस्कार जीवन का आधार थे। छोटी उम्र से ही उन्होंने भगवान श्रीकृष्ण, भगवद गीता और सनातन संस्कृति के प्रति विशेष अनुराग दिखाया। वे न केवल एक होनहार छात्रा हैं, बल्कि एक संवेदनशील और विचारशील बालिका भी हैं, जो समाज की पीड़ा को गहराई से समझती हैं।

शांत स्वभाव, जिज्ञासु मन और सेवा के प्रति अपार समर्पण — यही उनके व्यक्तित्व की पहचान है। पढ़ाई के साथ-साथ वे योग, ध्यान और ध्यानशील चिंतन को भी अपने जीवन का अभिन्न हिस्सा मानती हैं। उनके पिता के मार्गदर्शन में उन्होंने बाल्यकाल में ही गीता का अध्ययन शुरू किया और आज वे इसके ज्ञान को जन-जन तक पहुँचाने का संकल्प ले चुकी हैं।

जैसे-जैसे वे बड़ी होती गईं, उन्होंने देखा कि आज की युवा पीढ़ी अपने ही मूल धर्म और संस्कृति से दूर होती जा रही है। इस विचार ने उन्हें भीतर तक झकझोर दिया। उन्होंने डिजिटल मंचों का सहारा लिया और सोशल मीडिया के माध्यम से भगवद गीता, श्रीकृष्ण की लीलाओं और सनातन धर्म की महानता को सरल भाषा में युवाओं तक पहुँचाना शुरू किया।

उनकी बातों में गहराई है, लेकिन प्रस्तुति में सरलता। यही कारण है कि लाखों युवा उन्हें एक मार्गदर्शक ,गुरु, बहन और कलयुग की राधा रानी के रूप में प्रेरणा स्वरूप मानते हैं। श्री किशोरी जी का जीवन केवल उपदेश तक सीमित नहीं है। उन्होंने अपने संकल्पों को कार्यरूप देने के लिए कई जनकल्याणकारी योजनाएँ प्रारंभ कीं:

वृद्धाश्रम की स्थापना: जहाँ उपेक्षित बुज़ुर्गों को स्नेह, सम्मान और गरिमापूर्ण जीवन मिलता है।

भोजन सेवा मिशन: प्रतिदिन सैकड़ों भूखों को नि:शुल्क भोजन कराया जाता है।

शिक्षा और नैतिक दिशा: निर्धन बच्चों को न केवल शिक्षा सामग्री दी जाती है, बल्कि उन्हें नैतिक शिक्षा भी दी जाती है। श्री किशोरी जी का जीवन यह सिखाता है कि उम्र केवल एक संख्या है — जब भाव सच्चे हों, संकल्प अडिग हो, तो बाल्यकाल में भी समाज का पथप्रदर्शन किया जा सकता है।

Some frequent questions asked.

प्रश्न 1: श्री किशोरी जी कौन हैं?

उत्तर: श्री किशोरी जी एक युवा, प्रेरणादायी कथा वाचिका और समाजसेवी हैं, जो भक्ति, ज्ञान और सेवा के माध्यम से समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाने का कार्य कर रही हैं।

उत्तर: नहीं, कथा वाचन के साथ-साथ श्री किशोरी जी सामाजिक सेवा, वृद्धजनों की देखभाल, शिक्षा प्रसार और महिला सशक्तिकरण जैसे क्षेत्रों में भी सक्रिय रूप से कार्य करती हैं।

उत्तर: आप आर्थिक दान, सेवाभाव, प्रचार सहयोग, या आवश्यक सामग्री के माध्यम से श्री किशोरी जी के सेवा प्रकल्पों में भागीदार बन सकते हैं।

उत्तर: श्री किशोरी जी ध्यान, भजन और सेवा के साथ-साथ अपनी पढ़ाई को भी संतुलित रूप से निभा रही हैं। वे समय का सधा हुआ उपयोग करके भक्ति, सेवा और शिक्षा — तीनों में संतुलन बनाए रखती हैं।

उत्तर: श्री किशोरी जी वृद्धजनों के लिए संचालित श्री किशोरी वृद्धाश्रम की संस्थापक हैं। साथ ही वे शिक्षा, महिला सेवा और समाज कल्याण के अन्य प्रकल्पों में भी सक्रिय रूप से जुड़ी हुई हैं।

उत्तर: श्री किशोरी जी को अपने माता-पिता, संतजनों और जीवन में मिले गुरुओं से प्रेरणा मिलती है। वे सेवा और साधना को ही अपना सबसे बड़ा आदर्श मानती हैं।

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