पाञ्चजन्य भगवान विष्णु का शंख है। विष्णु के अवतार श्रीकृष्ण पाञ्चजन्य नामक एक शंख रखते थे ऐसा वर्णन महाभारत में प्राप्त होता है। श्रीमद्भगवद्गीता जो कि महाभारत का अङ्ग है उस में वासुदेव द्वारा कुरुक्षेत्र युद्ध के दौरान इसका इस्तेमाल किया जाना बताया गया है।
मान्यता है कि इसकी ध्वनि से वातावरण शुद्ध हो जाता है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है. सनातन धर्म में इसे सुख, समृद्धि, विजय, शांति और माता लक्ष्मी का प्रतीक माना गया है. इसका वर्णन वेद -पुराणों में भी किया गया है. महाभारत में भी श्री कृष्ण ने अपने शंख पांचजन्य ( Panchajanya Shankh ) का प्रयोग युद्ध में किया था.
पांचजन्य पांच तत्वों का प्रतीक है, और इसे फूंकने पर सृष्टि की आदिम ध्वनि उत्पन्न करने वाला माना जाता है।